लाल सिंह दिल
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जन्म | लाल सिंह 11 अप्रैल 1943 गांव घुंघराली, लुधियाना, ब्रिटिश पंजाब |
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मौत | 14 अगस्त 2007 गांव घुंघराली, लुधियाना, पंजाब | (उम्र 64 वर्ष)
पेशा | कवि, मजदूर |
भाषा | पंजाबी |
नागरिकता | भारतीय |
उल्लेखनीय कामs | सतलुज दी हवा (1972), बहुत सारे सूरज (1973), सथर (1997), आत्मकथा ‘दास्तान’, बिल्ला अज फिर आया (लंमी कविता) |
लाल सिंह दिल (14 अप्रैल 1943[1]–14 अगस्त 2007)[2]नक्सलबाड़ी लहर से जुड़े पंजाबी के चर्चित दलित कवि थे जिन्हें लोग उनके लेखकीय उपनाम ‘दिल’ से जानते हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
उनके तीन काव्य संग्रह मिलते हैं और उनकी आत्मकथा ‘दास्तान’ है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Nirupama Dutt. "Poet of the Revolution Lal Singh Dil". मूल से 25 मार्च 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2015.
- ↑ Nirupama Dutt. "Poet of the Flaming Sutlej – Lal Singh Dil". मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2015.